शोर मचा कर कहते रहो,
खुद के लिए ही खुद से डरते रहो,
लाख सच्चाई छुपी हो मन में,
अपनी पहचान के लिए लड़ते रहो!
भीड़ बड़ी है इस जग में अब,
मुश्किल पड़ी जब कोई दिखे ना तब,
बन जाए जब कोई गैर फरिश्ता,
कुछ ही पल में पूछ बैठे हम,
बताओ ज़रा तुम, कौन हो अब!
मन में है एक आस पड़ी,
सुन लो अब कोई बात मेरी,
बार बार यह कहे है मन,
मन को है बस आस तेरी!
क्यों नहीं तुम सुन पाते हो?
मेरी कमी ही क्यों देख पाते हो,
मेरे अंदर भी है भाव छुपा,
उस भाव से क्यों नहीं मिल पाते हो?
ना होता कोई किसी का यहाँ,
सुना पड़ा है मन का जहाँ!
मनी पांडे
नीलमणि पांडे बिहार राज्य के समस्तीपुर ज़िले से संबंध रखती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वाली नीलमणि ने उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी की। इसके पश्चात वर्ष 2022 में बी.एड. की डिग्री हासिल की और शिक्षण के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की दिशा में एक ठोस कदम बढ़ाया।
शिक्षण सेवा में आने के संकल्प और मेहनत का परिणाम यह रहा कि वर्ष 2023 में शिक्षक पात्रता परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की। वर्तमान समय में नीलमणि पांडे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं, ताकि आने वाले समय में एक योग्य, समर्पित और प्रेरणादायी शिक्षिका के रूप में समाज और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित व संस्कारित कर सकें।
नीलमणि का उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में अपना योगदान देना है।